कितना अच्छा हुआ आज......
घर के दरवाजे से बाहर कदम रखते ही जश्न शुरू हो गया.....
कल तक जो ख़ुशी ढूंढने जाते थे हम...कभी यहाँ कभी वहाँ....
आज वही ख़ुशी .....दरवाज़ा खटखटा कर इंतज़ार में खड़ी रही.....
शायद सारी रात खड़ी रहती.....
अगर मै आवाज़ न सुनता......
गले मिलते ही उसने पूछा मुझसे....
....."कब से बुला रही थी.......आये क्यों नहीं....??????"