Sunday, 25 March 2012

जश्न ...

कितना अच्छा  हुआ आज......
घर के दरवाजे से बाहर कदम रखते ही जश्न शुरू हो गया.....
कल तक जो ख़ुशी ढूंढने जाते थे हम...कभी यहाँ कभी वहाँ....
आज वही ख़ुशी .....दरवाज़ा खटखटा कर इंतज़ार में खड़ी रही.....
शायद सारी रात खड़ी रहती.....
अगर मै आवाज़ न सुनता......
गले मिलते ही उसने पूछा मुझसे....
....."कब से बुला रही थी.......आये क्यों नहीं....??????"

Tuesday, 20 March 2012

अमिट ..........

आज मैंने लिखा बहुत कुछ पर सब मिटा दिया.....
मिटाया नही.......जला दिया....फाड़ दिया .....
आज ही मुझे मालूम हुआ की मिटाने के लिए हमेशा 'मिटोनी' की जरूरत नही होती.....
एक झटके में मिट सकता है सब कुछ........
बताउं कैसे.....???????
एक सलाह मानोगे....??????
मत ही पूछो तो बेहतर है........
विश्वास मानो.......कुछ भी मिट जाना बहुत कष्टदायी हुआ करता है......