pehle mai aur ab ye paani bhi tera hua... kiske lie aankhon ne ise bheja ye to btana mushkil h... par iss pani ka rangg btata hai k tha ye bde din se thehra hua... iss paani ki kahani par bhi kai kisse aur judenge... iske sookh jaane ke baad inko yaad krne wale aur bdhenge... par ye kambakht na krenge picha aur kisi ka... kuki pehle mai aur phir ab ye pani bhi tera hua... jaanta h ye bhi...ke iske bahaane kahani apni kehne ki gustaakhi kr rha hu... khud par ilzaam na aaye islie ye kahani iski zubani kehne ki gustaakhi kr rha hu.. par ye paani na kabhi meri taraf tha aur na hoga... ye tu jata isse pehle hi ye apna do kmron ka ghr chodd kr chalta bna.. le ja ab..mujhe nhi to ise hi sahi... kyuki mere baad..ab ye paani bhi tera hua...
total rubbish
Thursday, 11 July 2013
Thursday, 12 July 2012
permanent......
Chappallo k bheeg jaane se ye ehsaas ho aya hai
K aakhir koi to aya jo bhiga jaega mujhe…
Jooton me aksar is ehsaas se vanchitt reh jata tha..
Sookha jo hota hai…wo hi permanent rehta hai shayad…
Aaj baarish se bne chote chote
Permanent raaston ki oar dhyaan chla gya…
Ye raaste aksar baarishon me hi dikhai dete hain….
Jb tk baaki sb doobta nhi…ye raastey bnte nhi…
Kyu nhi dikhta hme permanent pehle…
Sunday, 25 March 2012
जश्न ...
कितना अच्छा हुआ आज......
घर के दरवाजे से बाहर कदम रखते ही जश्न शुरू हो गया.....
कल तक जो ख़ुशी ढूंढने जाते थे हम...कभी यहाँ कभी वहाँ....
आज वही ख़ुशी .....दरवाज़ा खटखटा कर इंतज़ार में खड़ी रही.....
शायद सारी रात खड़ी रहती.....
अगर मै आवाज़ न सुनता......
गले मिलते ही उसने पूछा मुझसे....
....."कब से बुला रही थी.......आये क्यों नहीं....??????"
Tuesday, 20 March 2012
अमिट ..........
आज मैंने लिखा बहुत कुछ पर सब मिटा दिया.....
मिटाया नही.......जला दिया....फाड़ दिया .....
आज ही मुझे मालूम हुआ की मिटाने के लिए हमेशा 'मिटोनी' की जरूरत नही होती.....
आज ही मुझे मालूम हुआ की मिटाने के लिए हमेशा 'मिटोनी' की जरूरत नही होती.....
एक झटके में मिट सकता है सब कुछ........
बताउं कैसे.....???????
एक सलाह मानोगे....??????
मत ही पूछो तो बेहतर है........
विश्वास मानो.......कुछ भी मिट जाना बहुत कष्टदायी हुआ करता है......
Tuesday, 13 December 2011
khaali............
तुम्हारे वो नमी से भरे हुए हाथ,
मेरे इन हाथो से छूटे हैं.........रह गये हैं ये खाली........
पर याद है मुझे आज भी.........
कैसे रेत की तरह तुम्हारे हाथ मेरे हाथो से फिसल रहे थे.......
और मैं किसी रेत की घडी सा तुम्हे बीतता हुआ देख रहा था.......
तुम्हारा वो नमी से भरा हुआ सुकून भरा स्पर्श ..........
मुझ पर से किसी पानी की बूँद सा छलकने को तैयार सा.....
और मै किसी चिकने पत्ते सा.......खुद को समेट कर तुम्हे संभाल पाने में...असमर्थ.....
अब भी तुम्हारा वो नमी से भरा हुआ स्पर्श याद कर......
मैं खुद को पा रहा हु........
समंदर के उस किनारे सा भरा हुआ.......
जिसे अभी अभी एक नमी से भरी हुई लहर छू के गयी हो.............
Thursday, 8 December 2011
akela.........
हो सकता था ये भी.......
की ये रात अकेली न होती........
मेरे हाथो पर रखी ये किताब आज मेरी सहेली न होती.......
हर अलफ़ाज़ मुझसे यूँ खफा सा न होता.......
अगर तुम्हारे साथ न होने की ये पहेली न होती.......
पर हूँ आज मैं अकेला सा यूँ.......
की कलम भी हाथ मिलाने को बेताब सी है......
और अलफ़ाज़ भी.......
पर किसी ने खा है सच ही........
की अपनों के साथ सी बात गैरों में कहाँ.......
इसीलिए शायद हूँ मैं अकेला......
और मेरे साथ बैठी ये रात भी है अकेली.......
nirmohi........
निर्मोही से मोह लगा बैठी......बांवरी सजन की......
बैठी बैठी.......तकती हर दिन......
एक भी बोल कहे और सुने बिन.......
निर्मोही से मोह लगा बैठी.....बांवरी सजन की.......
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